अतिरिक्त >> जिनकी याद हमेशा हरी रहेगी जिनकी याद हमेशा हरी रहेगीअमृत राय
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जिनकी याद हमेशा हरी रहेगी पुस्तक का किंडल संस्करण...
किंडल संस्करण
वह तारीख़ आयी और निकल गयी और सुहैल भाई नहीं आये। मैंने समझ लिया कि लगता है इस बार फिर डौल नहीं जमा। ...और तब, शायद और भी दो-चार रोज़ बाद, जब कि मैं उनके आने की उम्मीद बिल्कुल ही छोड़ चुका था, वो एक रोज़ सबेरे आ पहुँचे मैं अपने कमरे में अपने दो-चार योगासन जो मैं अपने शरीर को ठीक रखने के लिए रोज़ करता हूँ, कर रहा था कि अचानक मेरे कान में एक आवाज़ पड़ी जिसे मैंने फौरन सुहैल भाई की आवाज़ के रूप में पहचाना और बाहर, बरामदे में, निकल आया—सुहैल भाई माली से मेरे बारे में पूछ रहे थे।
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